संगोली रायण्णा (कविता)- डॉ अंबुजा एन मलखेडकर 'सुवना'

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*संगोली रायण्णा


Pic courtesy-google

( संगोली रायण्णा का जन्म 15 अगस्त 1798 में कर्नाटक के चित्तूर से दूर संगूल्ली ग्राम में हुआ था। आपके पिता का नाम भरमप्पा और माता का नाम केंचम्मा था । आप कर्नाटक में वीर राय, वीर संगोल्ली रायण्णा, क्रांतिवीर रायण्णा से पहचाने जाते हैं । आपने कित्तूर की स्वतंत्रता के लिए प्राण त्याग दिया था । आपको ब्रिटिशों ने फांसी पर चढ़ाया था।)

चेन्नम्मा का मानस सुत था
संगोल्ली रायण्णा, कर्नाटका का शक्तिपुंज वह सफल चतुर चैतन्या।
अंग्रेजों से लड़ने उसने सेना का निर्माण किया स्वतंत्रता ही लक्ष्य बना उनके लिए दुःस्वप्न बना।
अपने ही लोगों ने साजिश करके
रायण्णा को बंदी बनवाया ,
हंसते-हंसते प्राण निछावर कर
बलिदानी वह कहलाया।
पाकर ऐसे वीर पुरुष को
धरा हुई अपनी पावन, धन्य धन्य वे महावीर जो मातृभूमि पर हुए हवन।



-© *डॉ अंबुजा एन मलखेडकर  'सुवना'*


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