बातें कुछ उलझी सी (आलेख)- नीरजा मिश्रा

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      " बातें कुछ उलझी सी"


आज मैं आपके सामने एक मजेदार विषय लेकर आई हूं। जब लोगों की सोच आप के विपरीत हो तो, तो क्या? अरे आप दुनिया के सामने कालीन तो नहीं बिछाते फिरोगे। मतलब क्या ?नहीं समझ आया ना, अरे दुनिया का नजरिया बदलने से अच्छा है आप अपना ही नजरिया बदल दो। यानि सब कुछ देख कर भी कुछ दिखाई नहीं देता ,सब कुछ सुन कर भी कुछ सुनाई नहीं देता ,और जब कोई हताश होकर कुछ कहे तो बिल्कुल मूक हो जाओ ,जैसे आप जन्म से ही गूंगे हो ।सीधा सा मतलब है, दुनिया के सामने कालीन बिछाने से अच्छा अपना नजरिया बदल लो। समस्या का समाधान अपने आप हो जाएगा। चाहे तो आजमा कर देख लो।

एक नया मुद्दा और बहुत ही रोचक  आजमाया हुआ। जब आप घोर तनाव में हो तो क्या करना चाहिए। अभी कम से कम सौ सुझाव सामने आ जाएंगे। कोई कहेगा योग करो, ठंडा पानी पियो ,कोई कहेगा उल्टी गिनती गिनें जब तक तनाव दूर नहीं हो जाता, तो कोई कहेगा धीमा संगीत सुनो और ना जाने क्या-क्या बातें। सुझाव ना हो गया, सुझावों का पिटारा यानी भानुमति के सुझाव का पिटारा , हंसी आ रही होगी आप लोगों को मेरी बातों पर, मेरा मानना है। हॉरर मूवी या स्टोरी। यह क्या बात हुई ? अरे आजकल स्मार्टफोन तो सभी के पास होता है ना ,बस फिर क्या ? खोलो यूट्यूब  अगर आप बहुत ही डरपोक हो, तो  हाॅरर   मूवी दिन में देखो लाइट जलाकर और अगर आप दिल और दिमाग के पक्के हो तो फिर रात के अंधेरे में, कोई हॉरर मूवी लगा लो, क्योंकि जब हॉरर मूवी चलती है तो उसके डर के सामने आपके टेंशन की क्या औकात जो आपको रत्ती भर परेशान करें ।आपका पूरा ध्यान बस उसी डरावनी मूवी पर ही हो केंद्रित रहेगा। बस रोमांच आसपास रहेगा। अरे भाई डर के आगे तो भूत भी नहीं  टिकता और तनाव किसी भूत से कम नहीं होता, जो आपके कमजोर मन पर हावी हो जाता है । क्योंकि जब परिस्थितियां आप के विपरीत होती हैं और चिंता आप को घेरने लगती है। तो चेतन मस्तिष्क तुरंत रिएक्शन की इस स्थिति में नहीं होता है।  उसे परिस्थिति को समझने के लिए थोड़ा विराम चाहिए होता है। वरना तनाव और क्रोधआपके दिल और दिमाग पर अपनी मजबूत पकड़ बना लेता है ।जैसे एक अतृप्त आत्मा अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए किसी जीवित मनुष्य को अपने वश में कर लेती है । ऐसे ही और  हाॅरर  मूवी आपके मन पर हावी होकर आपके तनाव को दूर कर देती हैं । हां मैं यह मानती हूं कि किसी भी समस्या का यह परमानेंट समाधान नहीं है पर ये तो सोचो जब मन शांत होगा तनाव दूर होगा तभी तो आप अपनी समस्या का समाधान खोज पाओगे वरना तनाव आपके दिल और दिमाग दोनों का भर्ता वैसे ही बना देता है, जैसे आप बैगन का भरता बनाते हो । जैसे आप बैगन का भरता बना कर खा लेते हो ,वैसे ही तनाव आपके दिल और दिमाग पर हावी होकर आप का भर्ता बनाकर खा लेता है। हंसी आ रही है ।आपको सकारात्मक सोचने का मौका ही नहीं मिलता । जिससे आप अपनी समस्या का समाधान निकाल सको और जिंदगी में आगे बढ़ सको कहा जाता है ,खुशियां बांटने से बढ़ जाती हैं और अपना दुःख बांटने से कम हो जाता है ।अब यह कहावत बदलनी होगी ।आज के दौर में खुशियां बांटने पर अपनी ही खुशियों पर नजर लगती है। और दुःख बांटने पर दुःख में आपके कई गुना ज्यादा बढ़ जाते हैं लोग आपकी विपरीत परिस्थिति को और भयावह बना देते हैं ।जो हमारे पकड़ से बाहर हो जाती हैं। तो हमें हमेशा शांत और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। तभी हम अपनी विपरीत परिस्थितियों से लड़ सकते हैं ।लोगों का बिना जाने समझे सोचे विचारे अपना एक्स्ट्रा दिमाग आपके साथ में लाते हैं और परिस्थिति  को जटिल बना लेते। राईसे दिखने वाली बात पहाड़ के समान विकराल रूप ले लेती है। और हमारे जीवन को तहस-नहस कर देती है।यह सब हमारे दिमाग की उपज है ।चाहे तो हम अपनी बात को बनाले या बिगाड़ दे। यह सब हमारी सोच पर निर्भर करता है। हमें अपने मन को शांत रखना चाहिए। अपने  क्रोध को आप से बड़ा नहीं होना चाहिए। यह हमारी सोच और हमारी मनःस्थिति पर निर्भर करता है ।हमें हमेशा ईश्वर पर विश्वास होना चाहिए ।क्योंकि ईश्वर हमारी हर स्थितिमें सहायता करता है। हमें प्रेरित करता है ।सही और गलत के बीच चुनाव करने का रास्ता दिखाता है पर हमें अपने अंदर इतनी शक्ति और हिम्मत जगानी होगी। जिससे हम अपने सामने आने वाली हर विपरीत परिस्थितियों से लड़ सके। अपनी हर विपरीत परिस्थिति  को अपने अनुकूल बना सकें। और जिंदगी की जंग जीत सके। हर मोर्चे पर अपने आपको विजेता बना कर विजयी घोषित कर सके। तभी हमारी जीत होगी।

nirja mishra


  - ©नीरजा  मिश्रा, उरई, उत्तर प्रदेश








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