चीनी से परहेज (हास्य-व्यंग्य)- श्री घनश्याम सहाय

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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)

चीनी से परहेज


वह डायबीटिक है। चीनी से परहेज़ है। चीनी को लगभग अपना शत्रु मानता है। एक दिन किसी विरोधी पार्टी के उसके किसी मूर्द्धन्य नेता मित्र ने उससे पूछा दिया--भाई, चीनी से इतनी नफ़रत क्यूॅं? यह तो शोभा है तुम्हारे किचन की, तुम्हारे घर की।,"बिन चीनी सब सून।" चीनी तो जीवन में मिठास भरती है---क्या नाराजगी है चीनी से।
हथ्थे से उखड़ गया पठ्ठा,कहा--अरे तिरछोल,जिस प्रकार रक्त में चीनी का आधिक्य,पूरे शरीर को खोखला कर देती है ठीक उसी प्रकार चीनी पूरे देश को खोखला किये दे रहा है। उसकी आवाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा था।

मित्र ने कहा---मित्र, बात चीनी की हो रही थी,ये बीच में "देश" कहाँ से आ गया?
बोल उठा वह--रह गए न चोन्हर के चोन्हर। हाथ नचाते हुए उसने कहा--कहता है "देश" कहाँ से आ गया? देश आएगा नहीं? सब देशी-विदेशी, देश का दुश्मन बना हुआ है? तुम जैसे "लम्मपट" जब तक इस देश में रहेगा देश में चीनी बिमारी ठीक नहीं हो सकती? कहता है,"बिन चीनी सब सून,चीनी से जीवन में मिठास आता है।अरे अनेरिया,मिठास खाली चिनीए से आता है कि गुरो से आता है ,शुद्ध देशी और खाँटी।
मित्र ने मुस्कुरा कर कहा--मित्र ठीक है,गुड़ से भी मिठास आ सकती है लेकिन चीनी से इतनी घृणा क्यों?
उसने कहा-अरे दँतचियार,चोन्हर, उहाँ बोर्डर पर हमरा बच्चा लोग को चीनी सब मार रहा है और तुम इहाँ चीनी का गुनगान कर रहा है--कहता है, "बिन चीनी सब सून"----चीनी से इतना नफ़रत क्यों? अरे चिनिओ से बड़ा दुश्मन है कवनो हमारे देश का? सुन बे दँतचियार, चीनी से चाशनी बनती है जिसे हम पाक कहते हैं---पाक त बूझता है न? मतलब चीनी से ही पाक(पाकिस्तान) बनता है,अउर दोनों देश का दुश्मन है---नफरत न करें त का पियार करें? बात करता है?
मित्र--बात को कहाँ से कहाँ लाए तुम?बात हो रही थी बिमारी की, ले आए चीन आ पाक पर--पूरे अंधभक्त हो तुम।
बोला वह--हम अंधभक्त हैं? कि तुम अंधभक्त है रे चिरकुट? अरे जो रे वुहानी जोधा(यहाँ जोधा के कई अर्थ हैं, आपको जो उचित लगे), तुम सब है न,
"पानी पड़ेगा वुहान में त छाता ओढ़ेगा हिंदुस्तान में।" बढ़ाओ भाई-चारा,खूब बढ़ाओ--देश के इज्ज्त जाता है तो जाए भाँड़ में---लाए न करोना,वुहान से बिटोर के?
मित्र--दखो,अब बहुत आगे बढ़ रहे हो---
क्रोध से भर उठा वह,कहा--जादा भचर-भचर किया न,त एहिजे नटई अईंठ देंगे---एक दिन इस चीनी के चक्कर में डायलिसिस पर जरूर जाएगा तुम, इ जो तेरे रक्त में चीनी का मात्रा बढ़ा है न, उसीने तेरा रेटिना खराब किया है।
रे बकलोल---आँख से तो अँधा हो ही चुका है---बुद्धिओ से भी अन्हरा गया है।
लगाता रह,जय वुहान का नारा, हिंदुस्तान में।
अरे बुड़बक, दूनो चीनी खतरनाक है, एक ठो शरीर के बेमारी का कारन है आ दूसरा देश के बेमारी का कारन। इ चीनी के चक्कर में देख रहा है न, पूरा देशे डायबीटिक होता जा रहा है--देह से भी आ बुद्धियो से। जब बुद्धि के डायबिटीज होता है न त आदमी बुद्धिजीवी हो जाता है,जइसे कि तुम।

लाल-लाल गाल लिए, बुद्धि कमाल लिए,
करिया सियाही से, लाल लिखवावत हौ।
हाथ को मशाल लिए, रैली बहुशाल लिए,
बुड़बक सब जनता है, खुब ही चरावत हौ।

जो रे बनरी के जात---अनेरिया नाहिंन त।

-©घनश्याम सहाय

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