आजादी (कविता)- प्रेमलता चौधरी

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# "आजादी"#


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हमारा पावन भारतवर्ष जन-जन को है प्यारा
वीर शहीदों की शहादत को सादर नमन हमारा
अनगिनत वीर शहीद हुए तब आजादी हमने पाई
आजादी के परवानों को कोई भी बाधा रोक ना पाई

सीने पर जख्म खाकर भी हौसला जिनका कम हुआ
रक्त की हर बूंद से मातृभूमि को जिसने नमन किया
जन्मभूमि की रक्षा खातिर तन मन अपना वार दिया
बांध कफन सिर पर फिर प्राणों को अपने त्याग दिया

लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे ने अंग्रेजों से ना हार मानी
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह ने फांसी की माला डाली
चंद्रशेखर आजाद को जंजीरे भी ना जकड़ पाई
आजाद ने आजाद रहकर आजादी की बिगुल बजाई

कितनी मां की लाल गये, बहनें बिन भाई की हो गई
कितनो का सिंदूर गया, कितनों के पिता का साया ना रहा
गर्व है उन वीर सपूतों पर हंसते हंसते प्राण लूटा दिए
अमर हो गए स्वर्णिम पृष्ठों पर भारत मां के वीर सपूत।

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-©प्रेमलता चौधरी
फालना, पाली राजस्थान

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