लौट आ केशव (डॉ. भगवान सहाय मीना)

www.sangamsavera.in 
संगम सवेरा वेब पत्रिका sangamsavera@gmail.com

# लौट आ केशव !#


krishna
    
विरह वेदना अंतहीन, 
घायल मृगि सी सिसक रही।
विकल प्राण,सजल नयन,
मयूरी माधव बिन अकुला रही।

व्याकुल हृदय, दुःख से विह्वल,
चक्षु निर्झर बहा रही।
बैरन वंशीवट, कालिंदी तट,
शरद रैन तड़पा रही।

नीरव निशा, गहन तम, 
सूनी सेज दग्धा रही।
सौतन लगे मुरली माखन,
गोपी आठों याम घबरा रही।

करुण क्रंदन करें षौड्स श्रृंगार,
विकल आत्मा,विरह रागिनी गा रही।
लौट आ केशव ! विरह तप्त,
तेरी ग्वालिन पुकार रही।
हृदय मरूस्थल, यौवन पतझड़,
धेनु गिरिधर की रंभा रही।


- ©डॉ. भगवान सहाय मीना
पता:- बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान
मोबाइल वाट्स एप:- 9928791368


कोई टिप्पणी नहीं

©संगम सवेरा पत्रिका. Blogger द्वारा संचालित.