त्रुटि सुधार अगस्त 2020 अंक

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#त्रुटि सुधार# अगस्त अंक#

संगम सवेरा अगस्त 2020 अंक के पृष्ठ सं 44 पर श्री एस एल मेहरानियां 'देव'  जी की रचना में कम्पोजिंग करते समय किसी और रचनाकार की पंक्तियाँ मिल गई थी। इसका हमें खेद है।
इनकी मूल रचना निम्न प्रकार है। संबंधित पीडीएफ फाइल में एतत संबंधी सुधार कर दिया गया है।
- प्रधान संपादक

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 **रहे मुक्कमल जहाँ ये सारा**

                 🇹🇯🇹🇯🇹🇯
लबों पे नाम हिंदुस्तां, मेरे हर बार आयेगा।
मोहब्बत का कोई पैगाम,लफ्ज में यार जायेगा।
मुन्तज़िर हूँ तिरंगा ही, कफन बन जाये अब मेरा-
जिगर पे भी लिखा मेरे, हिन्द का नाम पायेगा।
                    🇹🇯🇹🇯🇹🇯
रहे मुक्कमल जहाँ ये सारा, जान से प्यार मेरा वतन।
दूँ सींच लहू से अपने मैं,मुरझा ना पाये हसीं चमन।

कोई बुरी नजर ना टिक पाये,
ललकार से दुश्मन हिल जाये,
सोच सोच वो घबराये,फिर थर थर करे बदन।
दूँ सींच लहू से अपने मैं,मुरझा ना पाये हसीं चमन।।

दामन मजहब का छोड़ेंगे,
रिश्ता ये दिलों का जोड़ेंगे,
विश्वास ना अब हम तोड़ेंगे,कितने कोई करे जतन।
दूँ सींच लहू से अपने मैं, मुरझा ना पाये हसीं चमन।

रहे मुक्कमल जहाँ ये सारा, जान से प्यार मेरा वतन।
दूँ सींच लहू से अपने मैं, मुरझा ना पाये हसीं चमन।।

-©एस एल मेहरानियां 'देव'
अलवर, राजस्थान
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2 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत व अदभुत पत्रिका के प्रधान सम्पादक आदरणीय नवल किशोर जी का खूबसूरत, अविस्मरणीय प्रयास 'त्रुटी सुधार' के लिये हृदय तल की गहराइयों से बहुत बहुत शुक्रिया आभार जी 🙏
    सादर नमन हार्दिक अभिनंदन जी 🙏 🌹🙏

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  2. खूबसूरत व अदभुत पत्रिका के सम्मानीय सम्पादक मंडल के प्रधान सम्पादक जी व सम्पादक मंडल को शानदर सफल सम्पादन के लिये हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएंजी 🙏🌹

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