तीन रंगा तिरंगा (कविता)- श्री सुखविंद सिंह मनसीरत

www.sangamsavera.in
संगम सवेरा वेब पत्रिका

#तीन रंगा तिरंगा#

———————
तिरंगा मेरे देश की है शान दोस्तों
दिल जिगर की आन- बान दोस्तों

देशभक्तों ने थी निज जान वार दी
जिंदगी की खुशियाँ भी थी वार दी
कुर्बानियों ने बढ़ाया हैं मान दोस्तों
दिल जिगर की आन -बान दोस्तों

मस्तानों के लाल लहू से रंगा हुआ
दीवानों की दीवानगी में मंढा हुआ
होना नहीं चाहिए अपमान दोस्तों
दिल जिगर की आन- बान दोस्तों

tricolor

हरा,सफेद,केसरिया ये तीन रंग हैं
हरियाली,सच्चाई,वीरता प्रतीक हैं
अशोक चक्र में छिपा काल दोस्तों
दिल जिगर की आन- बान दोस्तों

तिरंगा मेरे देश का कभी ना झुके
विकास मेरे देश का कभी ना रुके
विश्व-पटल पर बढे़ सम्मान दोस्तों
दिल जिगर की आन- बान दोस्तों

आजादी के साज़ में है सजा हुआ
देशभक्ति के राग में है रमा हुआ
सुखविंद्र की है जिंद जान दोस्तों
दिल जिगर की आन- बान दोस्तों


-©सुखविंद सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)



कोई टिप्पणी नहीं

©संगम सवेरा पत्रिका. Blogger द्वारा संचालित.