दैनिक श्रेष्ठ सृजन-13/12/2019 (विनोद कुमार मिश्र)

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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 विनोद कुमार मिश्र जी

13 दिसंबर 2019

शीर्षक- लाइलाज जख्म(कविता)

जाने-अंजाने पालते रहे।
हम लाइलाज जख्म।
कुछ पाने की लालसा।
और कुछ खोने का ग़म।
भागते रहे जीवन भर, 
चैन नहीं लिया पल भर।
संचय करते रहे हरदम।
बढ़ती रही इच्छाएं सुरसा सी। 
नकेल नहीं कस पाए हम।
बीतते रहे दिन, 
बीतती रही रातें,
हमने पाले थे कितने सपने। 
भूल गए वो सारे अपने। 
किन्तु चाहत न हुई कम।
फिर मिला एक नया जख्म। 
घावों पर एक नया घाव,
जख्मों पर एक और जख्म।
और आज,
जख्म लाइलाज हो गया।
इस भीड़ में सब खो गया।
क्या समाज क्या पड़ोस? 
अपनों ने ही जब खोया होश, 
किसको दें अब हम दोष।
अन्त काल ईश्वर को भजते। 
लाइलाज जख्म कैसे सहते!
"ले चलो प्रभु अपने पास ", 
दुखी मन से हर रोज यह कहते।
 -@ विनोद कुमार मिश्र

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