दैनिक श्रेष्ठ सृजन-09/12/2019 (कपूरा राम मेघवाल)

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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 कपूरा राम मेघवाल जी

9 दिसंबर 2019

शीर्षक- "क्यों खौफ में आधी आबादी"
            (निबंध )


     भारत देश ने विश्व शान्ति के लिए अपनी दहलीज से अपनी अमिट छाप छोड़ी है। अतीत की ओर झांकने पर हमें हर क्षेत्र में विश्व गुरु पदवी से आलोकित करता भारत का इतिहास हमें काफी कुछ सिखाता है।भारतीय संस्कृति के संरक्षण अहम भूमिका निभाने वाली मातृभूमि की गोद में आजकल के हालात पर भारत की आधी आबादी नारी शक्ति की दहनीय स्थिति को झकझोर देती है।जिस देश की विश्व भर में जय-जय कार होने वाले वतन तह में नारित्व की दर्दनाक चित्कार उठती हैं। यह अपने आप में एक गम्भीर चुनौती है, भारत वर्ष के भाल पर बहुत बड़ा कलंक है। जिस से हमें मुक्ति हेतु अहम भूमिका निभा कर इस समस्या से निजात पाने का योगदान हम हर भारतीय को देना होगा।इतिहास के पन्नों में छपता कलंक भारत की वसुधैव कुटुम्ब भावना के लिए अवरोध है। 
        मौजूदा समय भी महाभारत के चौपट की पांचाली के साथ अपनी लाज को लुटने वाले दुःशासन दिनोंदिन बढ़ती संख्या में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की गरिमा को पतन की ओर ले जाती दर्दनाक चित्कार हमारे ह्रदय को झकझोर कर रख दिया है। यह देश जहां अमन चैन की संस्कृति पूरे दुनिया को दिखाई पड़ रही है। आज हम अपने वतन के हर क्षेत्र में दक्षिण से कश्मीर, असम से गुजरात की परिसीमा में पनपते कलयुगी दुःशासन से लड़ने की जरूरत है।
       भारतीय संविधान की धारा में नारी उत्पीड़न हेतु मजबूत से मजबूत कानून व्यवस्था की जाए। नारी उत्पीड़न के निवारण हेतु तत्काल सुनवाई की व्यवस्था की जानी चाहिए। भारत अब दुनिया की महाशक्ति बन कर उभरने वाले वतन के आंगन में आधी आबादी नारी शक्ति के साथ खिलवाड़ देखकर हम सभी को वतन के लिए शक्त से शक्त कदम उठाए  जाने चाहिये। नारी के साथ मौजूदा हालात में सुधार लाने नितांत आवश्यक है।आज भारतीय जनमानस में विश्वास नाम की कोई चीज नहीं है। हर व्यक्ति के साथ उन्नाव से गुंजती नारी अत्याचार की घटनाएं, दुख-दर्द और विध्वंस हमारी संस्कृति का पतन का द्योतक हैं। 
      अन्त में यह कहना चाहता हूँ कि कैसे भी हो देश के संघीय नेतृत्व वाली सरकारी तंत्र को इस से मजबूत लड़ाई लड़ कर नारी जाति के कष्टों का निवारण किया जाए। नारी इस संसार की अनमोल धरोहर है। जिसके साथ बहती अश्रुधार वतन को शोभा कतई स्वीकार नहीं ।
        सारांश में भारत सरकार, राज्य सरकारों को और हर जन मानस को नारी उत्पीड़न की मुक्ति हेतु हमें सदैव चौकन्ना रहना होगा। भारत की जनता को अब किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ विश्वास करने का वक्त नहीं है। इस हेतु नारी जाति को आत्मरक्षा के गुर सीखने की सुविधा बड़े पैमाने पर होने चाहिए। हर व्यक्ति को अपने छोटे बच्चों को भी समस्या के बारे पूर्णतः शिक्षा दी जाए। प्रशासन को भी इस समस्या से मुकाबला करने के लिए बड़े पैमाने पर आधुनिक प्रक्रिया और तकनीकी विकास की दिशा में पहल करनी होगी। 

 ✍️कपूरा राम मेघवाल 
कुमटिया राजस्थान

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