दैनिक श्रेष्ठ सृजन-30/12/2019 (अरविन्द सिंह "वत्स")

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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 अरविन्द सिंह "वत्स" जी
30 दिसंबर 2019
शीर्षक- नारी का सम्मान
            (सरसी गीत)
शीश झुके यह सदा नमन में, मन में है सम्मान।
छाया मिलती जब नारी की, खिलती है सन्तान।।

उठती है  जब नारि धरा पर, करती नव निर्माण।
लक्ष्य सदा वह साध लौटती, चिन्ता करे न प्राण।।
हार मानते  ऋषि मुनि सारे, आती जीत कमान।
शीश  झुके यह सदा नमन में, मन में है सम्मान।।

खुशी भरे  जन-जन में नारी, धरती रूप अनेक।
शिक्षक बनकर सन्तानों में, भरती बुद्धि विवेक।।
त्याग  तपस्या  करती  नारी, देकर  विद्या  दान।
शीश झुके  यह सदा नमन में, मन में है सम्मान।।

कृपा मातु की राम कृष्ण पे, भया ईश अवतार।
पालन  पोषण  बड़े  हुये थे, जग के तारण हार।।
सदा  सहायक  माता  बनती, मिले पुत्र वरदान।
शीश झुके  यह सदा नमन में, मन में है सम्मान।।

जीजाबाई  नाम  अमर  है, जन्में  शिवा महान।
देश प्रेम ही मातु भरी थी, खिलता गया जहान।।
कभी  बनी थी लक्ष्मीबाई, भरकर तीव्र उड़ान।
शीश झुके यह सदा नमन में, मन में है सम्मान।।

इज्जत से  ही करती  नारी, सेवा भी सरकारी।
गोदी में भर प्यार लुटाती, कभी बने झलकारी।।
जननी ये सम्पूर्ण  जगत की,  सदा लुटाये जान।
शीश झुके यह सदा नमन में,  मन में है सम्मान।।
-@अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़ ,उत्तरप्रदेश

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