दैनिक श्रेष्ठ सृजन-23/12/2019 (कलावती करवा)
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संगम सवेरा पत्रिका
23 दिसंबर 2019
शीर्षक- "ठिठुरती ठंड"
दिसंबर और जनवरी में ठिठुरती ठंड है आयी
गुनगुनी धूप, दिन छोटे और रातें लंबी है लायी।
सर्दियों में धूप में बैठने की बात होती निराली,
मिल जाए पकौड़े और गरम चाय की प्याली।
सर्दियों में खाने और पहनने का आनंद आता,
बिजली जाए तो पंखे बंद का दुख नहीं सताता।
सर्दियों में ठिठुरती ठंड में पसीना भी नहीं आता,
रोज न नहाने से किसी को पता भी नहीं चलता।
पाउडर और डीओ इन सबका खर्चा भी बचता,
शरीर से दुर्गंध आने का भय भी तो नहीं रहता।
ठंड में कपड़े से पूरा बदन हर वक़्त ढका रहता,
शरीर गंदा नहीं होता मच्छर भी काट नहीं सकता।
ठिठुरती ठंड के दिनों में गरीब बहुत दुख पाते,
कोई उन्हें भी कंबल ओढ़ने आएगा आश लगाते।
-@कलावती करवा,
संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
E-mail-vishvsahityasangam@gmail.com
दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 कलावती करवा जी
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23 दिसंबर 2019
शीर्षक- "ठिठुरती ठंड"
दिसंबर और जनवरी में ठिठुरती ठंड है आयी
गुनगुनी धूप, दिन छोटे और रातें लंबी है लायी।
सर्दियों में धूप में बैठने की बात होती निराली,
मिल जाए पकौड़े और गरम चाय की प्याली।
सर्दियों में खाने और पहनने का आनंद आता,
बिजली जाए तो पंखे बंद का दुख नहीं सताता।
सर्दियों में ठिठुरती ठंड में पसीना भी नहीं आता,
रोज न नहाने से किसी को पता भी नहीं चलता।
पाउडर और डीओ इन सबका खर्चा भी बचता,
शरीर से दुर्गंध आने का भय भी तो नहीं रहता।
ठंड में कपड़े से पूरा बदन हर वक़्त ढका रहता,
शरीर गंदा नहीं होता मच्छर भी काट नहीं सकता।
ठिठुरती ठंड के दिनों में गरीब बहुत दुख पाते,
कोई उन्हें भी कंबल ओढ़ने आएगा आश लगाते।
-@कलावती करवा,
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