दैनिक श्रेष्ठ सृजन-10/12/2019 (प्रमोद पाण्डेय)

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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 प्रमोद पाण्डेय जी

10 दिसंबर 2019
शीर्षक- डाकघर (छंद)

 "दोहा"
चलो सुनाते आज हम, गये  जमाने बाद।
बड़ा खूब था वो जहाँ, बचपन की है याद।।

बातें  हूं  मैं  कर  रहा , डाकघरों की आज।
गया जमाना वो गुजर, जिनका  पूरा  राज।।
"चौपाई"
है आती याद जमाने  की। जब फोन नहीं था आने की।।
मोबाइल नहीं हाथ में था। बस चिट्ठी तार साथ  में  था।।

खत के आने का इन्तजार। हाले दिल प्रिय  को बेकरार।।
आनन्द खूब इन्तजारी में। कट जाय समय घरवाली  में।।

अन्तर्देशीय औ लिफाफा।पोस्टकार्ड खत लिक्खा जाता।
चिट्ठी लिखकर थे ले जाते।फिर पोस्ट बाक्स में रख आते।

डाकघर में छंटनी होती। मेल  ट्रेन   फिर   लेकर   ढ़ोती।।
गन्तव्य  डाकघर  पहुंचाती। पुनः वहाँ छटनी की  जाती।।

डाकिया बैग में फिर भरता। घर-घर  पहुंचाने को फिरता।।
सब घरवाले खुश हो  जाते। अपनों की जब चिट्ठी  पाते।।

अब  गया समय तो वो भाई। मोबाइल जब से घर आई।।
बचत बैंक बन गया डाकघर। चिट्ठी का खो गया सफर।।

बैरंग चिट्ठी  गया जमाना। जो फिर अब न लौट के आना।।
कृष्णप्रेमी  ने  है  ये   माना। गया  पुराना  शमा सुहाना।।
   ✍️ "कृष्णप्रेमी" गोपालपुरिया प्रमोद पाण्डेय

1 टिप्पणी:

  1. प्रतिष्ठित मंच साहित्य संगम संस्थान का ह्रदय के अन्तःस्थल से आभार

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