दैनिक श्रेष्ठ सृजन- 09/01/2020 (पल्लवी झा)

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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 पल्लवी झा जी
9 जनवरी 2020
शीर्षक- "मीत मेरे बचपन के"
         (लघुकथा)

    जब  हम प्राइमरी स्कूल में थे हमारे साथ शांता पढ़ती थी। वह पोलियो से ग्रसित थी और बैसाखी के सहारे स्कूल जाती थी प्राइमरी के बाद स्कूल बदल गये ।पता चला शांता की आगे की पढ़ाई पर घर वालों ने रोक लगा दी है।
          पिछले साल मैं मायके में बस से उतर कर घर जा रही थी तभी तेजी से एक तीन पहिये वाली स्कूटर से आई । मैं कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसने मुझे गर्मजोशी से अपना हाथ गले लगाने को बढ़ाया ,सामने वही तीस साल पुरानी मीत शांता थी।
       इतने वर्षों के बाद मिलने के साथ आत्मनिर्भर बनने की चमक उसके आँखों में थी । बातों-बातों में उसने बताया आगे की पढ़ाई के लिए और और भविष्य में विकलांग कोटा के जरिए  भविष्य सुरक्षित रखने हेतु पढ़ाने के लिए जिस शिक्षिका ने उसके माता-पिता को समझाया वह और कोई नहीं मेरी माता जी  श्रीमती किरण  झा रहीं ।यह जानने के बाद मेरी भी आँखो की चमक बढ़ गई ।
-- पल्लवी झा (रूमा)
 रायपुर छत्तीसगढ़

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