दैनिक श्रेष्ठ सृजन-03/02/2020 (मान बहादुर सिंह)

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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन- 03/02/2020
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आ0 मान बहादुर सिंह जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आ0 सुनील कुमार जी
(दोनों सम्मान-पत्र इसी लिंक पर उपलब्ध है)



03 फरवरी 2020
"आज का रावण"
(कविता)
देख रावणी चरित्र हम,दूजे पर ऊँगली उठाते हैं !
मन के भीतर बेठे रावण को कहाँ देख पाते है ?

मान रावण को राक्षस राज वर्ष हर पुतला जलाते हैं !
खुद के भीतर बैठे राक्षस को कहाँ जला पाते हैं ?

लहरा रहा परचम दुराचार हर्षाता आज,
खुद के मरते संस्कार को हम कहाँ जगा पाते है ?

साफ-साफ दिखता रावणी खौफ़ आज भी, बालाएँ
असुरक्षित,दुधमुँही भी हम कहाँ छोड़ पाते हैं ?
कहाँ तक बखानूँ कैसा है माहौल आज ?
निज निकृष्टतम चरित्र हम कहाँ देख पाते हैं ?
जब तक उठती रहेगी ऊँगली एक दूजे पर,
खुद के रावण को हम कभी न मार पाएँगे ?
करता ही रहेगा अट्टहास, रावण इस धरा पर,
जलाते रहें हम रावण बार-बार क्या कर पाएँगे ?
पाना है रावण से छुटकारा,तो संस्कार सजाओ सब,
जन-जन,हर उर सुधार से रावण हरा पाएँगे !!
-@मान बहादुर सिंह"मान"
प्रयागराज

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