दैनिक श्रेष्ठ सृजन-12-02-2020(विनोद वर्मा 'दुर्गेश')

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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-12-02-2020
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आ0 विनोद वर्मा 'दुर्गेश' जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आ0 ब्रजमोहन राणा जी
(दोनों सम्मान-पत्र इसी लिंक पर उपलब्ध है)



12 फरवरी 2020
शीर्षक- "स्वावलंबी जीवन पथ"
          (लघुकथा)
 
    पीहू आज स्वयं को अकेला महसूस कर रही थी। पति की मृत्यु के बाद उसका संसार उजड़ गया था। अब इकलौते बेटे की शहादत ने उसे जड़ बना दिया था। वह अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना चाहती थी पर उसे शहीद बेटे की कायर माँ और रसूखदार पति की हतोत्साहित पत्नी कहलाना गवारा न था। इसलिए उसने दुख के कड़वे घूंट पी जाना ही मुनासिब समझा। उसने परिस्थितियों से समझौता कर स्वावलंबी बनने का निर्णय लिया। उसने अपने अविवाहित काल में सिलाई कढाई का काम सीख रखा था। आज उसने इसी कार्य को व्यवसाय के रुप में स्थापित करने का प्रयास किया। उसे परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ा परन्तु यह उसकी अंत नहीं  था। जल्दी ही वक्त ने करवट ली और परिस्थितियाँ बदलने लगी। उसके पास सिलाई और कढाई सीखने वाली महिलाओं का तांता लगने लगा। उसे एक अच्छी खासी आमदनी और सिर उठाकर जिंदगी जीने का तरीका आ गया था। स्वावलंबी जीवन पथ पर चलकर अब उसे अपना जीवन बोझ नहीं लग रहा था। वह हृदय से टूट चुकी महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बन गई थी। 
 
-- विनोद वर्मा 'दुर्गेश'

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