विश्वास (कविता)- शिव सान्याल

www.sangamsavera.in 
संगम सवेरा वेब पत्रिका

विश्वास

साहस धैर्य विश्वास से,हैं सरल काज ओ जाते।
दिनकर मुट्ठी में कैद को, सहज हाथ उठ जाते। 

अंगारों  पर  चलते  हैं, वो   वीर  नहीं  घवराते।
भीतर आत्म विश्वास हो, शूरवीर न  डगमगाते।

हौसले  की  उड़ान भरें, नभ मुट्ठी बींध ले आते।
रवि सा तेज प्रताप लिए, हैं यश दुनिया में पाते। 

दृढ़ निश्चय धार जो चला,जा तुफान से टकराते।
सदा कफन बाँध सिर चले,नहीं मौत से घवराते। 

श्रम का  पसीना  बहाए, किसान  भाई   हर्षाते।
कनक भरी मिंजरें लिए, हैं भर भर घर ले आते। 

भानू  जिस की  मुट्ठी में, जगत  में  तेज फैलाते।
काम क्रोध लोभ छोड़ के,दीन दुखी के हो जाते। 



शिव सन्याल
ज्वाली कांगड़ा हि. प्र
   ★★★





कोई टिप्पणी नहीं

©संगम सवेरा पत्रिका. Blogger द्वारा संचालित.