*बोली संवर्धन ऑनलाइन वीडियो कवि सम्मेलन सम्पन्न*

www.sangamsavera.in
संगम सवेरा वेब पत्रिका

*बोली संवर्धन ऑनलाइन वीडियो कवि सम्मेलन सम्पन्न*

*"लोक मंगल परंपरा रिवाजों का परिचय कराती है क्षेत्रीय बोलियां"* नीर



नवीन कुमार भट्ट नीर :-

साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को आयोजित बोली संवर्धन ऑनलाइन वीडियो कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रांतों के क्षेत्रीय भाषा पर काव्यमयी प्रस्तुति के लिए कवि गण उपस्थिति दर्ज कर कार्यक्रम को भव्य बनाते हैं मैं संयोजक नवीन कुमार भट्ट नीर स्वयं ऐसे कार्यक्रम के संयोजक होने पर गौरवान्वित हूं। 04 जनवरी 2021 को हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अंजना संधीर, विशिष्ट अतिथि अशोक चौधरी, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ राकेश सक्सेना संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर सिंह मंत्र, मीडिया प्रभारी मिथलेश सिंह मिलिंद, सह अध्यक्ष कुमार रोहित रोज की पावन उपस्थिति में यह कार्यक्रम सफल पूर्वक मंत्रोचारण सहित मां वीणापाणि को याद कर शुभारंभ किया गया।ज्ञातव्य हो की इस कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय उद्घोषक विनोद वर्मा दुर्गेश के द्वारा शेरो शायरी के साथ किया गया।अपनी पंक्ति को गुनगुनाते हुए कहा कि

*सौ चाँद भी आ जाएँ तो महफ़िल में वो बात न रहेगी,*
*सिर्फ आपके आने से ही महफ़िल की रौनक बढ़ेगी.*
*अजीज के इन्तजार में ही पलके बिछाते हैं,*
*महफ़िलो की रौनक खास लोग ही बढ़ाते हैं.*

इस कार्यक्रम में अपनी क्षेत्रीय भाषा पर काव्य प्रस्तुति के लिए उपस्थित कवि गणों में प्रेमलता उपाध्याय दमोह मध्यप्रदेश बुन्देलखण्डी भाषा में काव्य पाठ करते हुए कि "सूरज निकरो है पूरब दिशा सो उठो भौजी भओ भुनसारो" ,डॉ क्षमा सिसोदिया उज्जैन मध्यप्रदेश "अब का करीं, ठंड से हम सब भइल परेशान बा ठंडी इतनी कि कलम का दिल भी हैरान बा। ,सरिता तिवारी जबलपुर मध्यप्रदेश बुन्देलखण्ड में प्रस्तुति करते हुए कहा कि "सतधारा को लग गयो मेला रे चलो देखन चलिए" ,राजेश कुमार शर्मा पुरोहित भवानीमण्डी राजस्थान ने अपनी राजस्थानी भाषा में काव्य पाठ करते हुए बोले कि "ऑनलाइन की आई पढ़ाई किताबां सगळी भूल ग्या ,सत्यदीप श्रीडूंगरगढ राजस्थानी भाषा में काव्य करते हुए ग़ज़ल कही कि ""दिन उग्ये हूं सिंइया तोड़ी,लिखी क्रम में माथा फोड़ी" ,जयहिंद सिंह हिंद आजमगढ़ उत्तर प्रदेश ने अपनी भोजपुरी ग़ज़ल से कार्यक्रम में समां बांध दी "सबके दुश्मन बना लेहलीं  हम ।तुहरा से  नेह  लगा  लेहलीं  हम ।।" ,राम प्रवेश पंडित मेदिनीनगर झारखंड मगही भोजपुरी में "माटी के शरीरिया पर,शान कईले रे!भेद   जनले  न मूरख,गुमान  कईले रे!!",प्रमोद पाण्डेय अयोध्या उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय बोली अवधि में काव्यपाठ करते हुए कि "विषहरी नगरिया से आइल बा खबरिया, से सजनिया हमरी माई बा बुलउले अपने धाम",सुधीर श्रीवास्तव गोंडा उत्तर प्रदेश ने खड़ी बोली में रचना पाठ करते हुए कहा कि "तनावों का जीवन में अलग ही है रोल ,तनावों के बिना फेल है जीवन का भूगोल।" , रेखा मोहन मैत्री पटियाला पंजाब आशियां हमे मिले मुहब्बत का बनाना होगा पढ़ीं, ज्योति विपुल जैन बलसाड़ गुजरात क्षेत्रीय बोली गुजराती में "चेहरो मारू खिली खिली जाय, ज्यारे नभ मां पंखीयो उडता देखाय," शानदार प्रस्तुति दी इसके उपरांत संचालक ने अपनी पंक्ति 
*"बोलियाँ हरसू रहीं, रौनके महफिल में।"* 
*"बागबां महका है आज, मुद्दतों के बाद।"*

कार्यक्रम की सफलतम पर गुनगुनाई।कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ राकेश सक्सेना ने बोली संवर्धन ऑनलाइन कवि सम्मेलन में उपस्थित विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि, पदाधिकारियों के अलावा शिरकत करने वाले कविगणों का स्वागत करते हुए बोली विकास मंच के कार्यक्रम की सफलता पर सारगर्भित उद्वोधन दिए। कार्यक्रम संयोजक के नाते मैं उपस्थित सभी मनीषियों का साभार वंदन करते हुए अभिवादन करता हूं कि आप सबकी सहभागिता से ही यह कार्यक्रम भव्य हो पाता है,इस कार्यक्रम में काव्य पाठ का आनंद वाह वाही की लुफ्त गुलशन कुमार,अंकुर तिवारी,मनोज चंद्रवंशी,लता खरे, आचार्य संतोष अवस्थी,मंजूषा किंजाबड़ेकर,अर्चना पाण्डेय, विपुल जैन, भागीरथी गर्ग,आर पी अवस्थी, योगेश ध्रुव,उमा नैदक, राजेश तिवारी,अनिल धवन,कपूरा मेघसेतू,रेवाशंकर कटारे, रतनलाल शर्मा,भुवन शर्मा , विनोद शर्मा,शिवम् गुप्ता,छाया सक्सेना प्रभु, अमित आ बिंजौरी, जूलीअग्रवाल,जयश्रीकांत
,ललिता पाण्डेय,अर्चना वर्मा,महेश उपध्याय आदि उठा रहे थे।

★★★★■■★★★★

कोई टिप्पणी नहीं

©संगम सवेरा पत्रिका. Blogger द्वारा संचालित.