दैनिक श्रेष्ठ सृजन-06/03/2020(प्रमोद पांडेय)

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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-06/03/2020
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आo प्रमोद पांडेय जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आo विजय शंकर जी



6 मार्च 2020
शीर्षक- अलंकार(मुक्त)
1.
कामिनी का बढ़े सौंदर्य, वो आभूषण होता है, काव्य श्रृंगारित जिससे हो, काव्य का भूषण होता है। इसी आभूषण भूषण को, नाम जो हम यहाँ देंगे- वही तो कविता का आभूषण, अलंकार होता है।
2.
अलंकृत कर सके जो कविता, अलंकार कहलाये, कामिनी कंचन को सुंदर, बना दे हार कहलाये। कामिनी काव्य का यारों, बड़ा अद्भुत सा संगम है- दोनों श्रृंगार में देखो कवि, की धार कहलाये।।
3.
चलो साहित्य संगम में, जहाँ श्रृंगार छाया है, विषय के रूप में इस बार, अलंकार लाया है। एक से एक बढ़कर हैं, कवि इस बार संगम में, खुद को सर्वोपरि करने का, यही त्योहार आया है।।
4.
चली जो बात अलंकार की, तो आज कहता हूँ, कई हैं भेद भारत में, जिसे स्वीकार करता हूँ। उपमा, रूपक, यमक, श्लेष, अनुप्रास के संग में- कई हैं रूप इसके बस, वही श्रृंगार सजता हूँ।
5.
सौंदर्यम मात्र व्यापक रूप, अलंकार कहलाये, चारुत्व, काव्यशोभाकर, व्यापक रूप बतलाये। संकुचित रूपम में उपमादि, अलंकार को रखकर- भेद साहित्यम भारत का, हमको है  सिखलाये।।
 
 6.
 फिजा रंगीन करने को, यहाँ ऋतुराज है आया, खिलाने फूल गुलशन  में, बहारें साथ है आया। देखो ये कृष्णप्रेमी भी, आज साहित्य संगम में- सजाने काव्य को संगम में अलंकार ले आया।
-@प्रमोद पाण्डेय

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