ब्रह्मचारिणी की उपासना से विचलित नहीं होता मन - डॉ दवीना

www.sangamsavera.in 
संगम सवेरा वेब पत्रिका

ब्रह्मचारिणी की उपासना से विचलित नहीं होता मन 
                      ■ डाॅ0 दवीना 



एटा,03 अप्रैल 

राष्ट्रीय तूलिका मंच पर आयोजित माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के जीवंत काव्य पाठ की श्रृंखला में हिसार की प्रख्यात कवयित्री डाॅ0 दवीना अमर ठकराल ने दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की भूमिका में अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि ब्रह्मचारिणी की साधना से तप,त्याग,वैराग्य और सदाचार की प्राप्ति होती है। इनकी साधना से साधक का मन कर्तव्य पथ से कभी विचलित नहीं होता। कन्या भ्रूण हत्या पर आपने चिंता जताते हुए कहा-' कन्या है देवी का रूप, घर की रौनक, आँगन की चिरैया क्यों फिर गर्भ में मारी जाती ' जगत की नश्वरता को रेखांकित करते हुए सुनाया कि ' साथ न रह पायेगा कोई सदा, जग सराय है, आयेंगे और चले जायेंगे ' इसके अतिरिक्त माँ, गृह लक्ष्मी,परोपकार, संकल्प आदि रचनाओं से दिवस व स्वरूप को सार्थकता प्रदान की।

      अंतरराष्ट्रीय कवि एवं संस्थापक डाॅ0 राकेश सक्सेना ने दवीना जी की प्रतिभा को सराहते हुए उन्हें उच्च कोटि की कवयित्री बताया।उन्होंने कहा कि हमारी संस्था का उद्देश्य रचनाकार के अंदर सन्निहित विशिष्ट प्रतिभा को उभार कर सामने लाना है। अध्यक्ष नवलकिशोर सिंह ने कहा कि चैत्र नवरात्र में शक्ति की साधना का विशेष महत्व है।इन दिनों में हम सभी को संयम की शक्ति प्राप्त होती है।उन्होंने अपने कर कमलों से दवीना जी को ब्रह्मचारिणी सम्मान से विभूषित संस्था का प्रमाण पत्र प्रदान किया।

    इस अवसर पर वंदना नामदेव राजे, सीमा वर्णिका, अर्चना कोहली, शशिकला नायक, सरिता बजाज गुलाटी, प्रज्ञा आंबरेकर, शुभद्रा दीक्षित, किरन भाटिया, नाथन विष्ट, प्रेमलता, मृदुला श्रीवास्तव,प्रेम कोहली आदि उपस्थित रहे। वंदना नामदेव ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
                       ■■◆■■

कोई टिप्पणी नहीं

©संगम सवेरा पत्रिका. Blogger द्वारा संचालित.