दैनिक श्रेष्ठ सृजन-29/11/2019 (राजवीर सिंह)

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दैनिक श्रेष्ठ सृजन-29/11/2019
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 राजवीर सिंह जी


29 नवंबर 2019

"राजनीति का धर्म बनाम धर्म की राजनीति"
(अनुच्छेद) 


      राजनीति का धर्म कुछ रह ही नहीं गया। जिसको मौका मिला लूट लियें देश को। इतनी बड़ी शक्ति-सत्ता और बौद्धिक सामर्थ्य पाकर भी राजनेता कुछ नहीं कर पा रहे हैं। सिर्फ भाषण और एक-दूसरे पर छींटाकसी के अलावा राजनीति का कोई धर्म नहीं रह गया। अपने स्वार्थ के लिए ये देश को भी गिरवी रखने में बाज नहीं आतें।दूसरी ओर जो धर्म को राजनीति के माध्यम से प्रतिष्ठित करना चाहें वह धर्म की राजनीति कर रहा है। आज ही तो नवीं की एक बालिका ने कहा कि ये रामायण-महाभारत पढ़ने का क्या औचित्य ? कैसी जेनरेशन तैयार कर रहे हैं हम। जिसे मूल्यों और भौतिक विकास का लेशमात्र भी अंतर पता नहीं। आने वाला युग रोबोट का युग होगा जिसमें न तो संवेदनाएं होंगी और न किसी तरह की नैतिकता की आवश्यकता होगी। क्योंकि नैतिकता के नाम पर भी तो आज कल कहते पाए जाते हैं कि मैं स्पष्टवादी हूँ । मैं झूठ नहीं बोलता । इनके इस तरह के दावों को सुन-सुन कर भी नई पीढ़ी में एक चिढ़न- सी पैदा हो रही है कि स्पष्टवादिता और सत्य ऐसा ही होता है क्या ?
✍️राज वीर सिंह

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